कथा पुरुषार्थी महाराज गंगदेव की (STORY OF COURAGEOUS MAHARAJA GANGDEV)






   ..............'अंचल मिथिला' सीरीज....  के 'कहानी मिथिला में राजसत्ता की' .....  शीर्षक अंतर्गत हमने देखा कि कर्णाट राजा नान्यदेव ने 1097 ई. में मिथिला में अपनी राजसत्ता कायम की । किन्तु, कुछ अवधि के उपरांत बंगाल के बल्लाल सेन ने आक्रमण कर उन्हें पराजित कर बंदी बना लिया....... 


      .......... राजा नान्यदेव जब बल्लाल सेन के बंदी थे तो उनके पुत्र गंगदेव ने परम पुरुषार्थ का परिचय देते हुए बल्लाल सेन के बंदीशाला पर आक्रमण कर नान्यदेव को मुक्त करा लिया और उन्हें पुनः मिथिला के राज सिंहासन पर बिठाया ।  इस प्रकार मिथिला में फिर से कर्णाट वंश की सत्ता कायम हो गयी ....। 




       नान्यदेव के स्वर्गारोहण के बाद  गंगदेव ने मिथिला की सत्ता सँभाली । इनका शासन काल शाके 1046 , सन 1124 ई.  से आरंभ होकर 1138 ई. तक 14 वर्षों का रहा ।

  

     गंगदेव के शासनकाल में नेपाल के राजा और गौड़देश (मालदह) के राजा द्वारा कई आक्रमण कर मिथिला राज्य  को अस्थिर करने का प्रयास किया गया ।  किन्तु, गंगदेव ने अपनी वीरता से उन्हें सफल नहीं होने दिया और अपने चतुर महामंत्री श्रीधर दास की सहायता से मिथिला राज्य का संचालन बहुत हीं कुशलतापूर्वक करते रहे । 


   इनके शासनकाल में महामंत्री श्रीधर दास को अत्यधिक शक्ति व  प्रतिष्ठा प्राप्त थी । श्रीधर दास द्वारा मूर्ति स्थापन एवं शिलालेख उत्कीर्णन जैसे राजोचित कार्य भी किये गए । ये महाराजा गंगदेव के श्रीधर दास के प्रति अगाध प्रेम व श्रद्धा का प्रतीक था ।


   मधुबनी जिले के अंधराठाढी में श्रीधर दास द्वारा स्थापित कामलादित्य(विष्णु) की मूर्ति के शिलालेख में गंगदेव का नाम अंकित है । इसी स्थान पर श्रीधर दास द्वारा स्थापित एक शिलालेख में  उनका नाम भी अंकित है ।  शिलालेख मिथिलाक्षर लिपि में है । उक्त शिलालेख में  अंकित संस्कृत श्लोक इस प्रकार है -------


    श्री मान्नान्यपतिर्जेता       गुणरत्नमहार्णव: ।

यत्किर्त्तया जनितो विश्वे द्वितीय: क्षीरसागर: ।।१।।

मंत्रिणा तत्य नान्यस्य (मंत्र-तंत्र) नवरंगाब्जभानुना ।

तेनायं  करितो   देव:   श्रीधर:   श्रीधरेण  च  ।।२।।


  'मिथिला तत्व विमर्श' के अनुसार, अंधराठाढ़ी में  जो  'गंगासागर' पोखर है वह महाराजा गंगदेव का हीं है । साथ ही दरभंगा शहर में अवस्थित 'गंगासागर' पोखर भी उन्हीं का खुदवाया हुआ है । भौड़ा ग्राम में अवस्थित 'गंगासागर' पोखर का भी संबंध गंगदेव से हीं बताया है । 


   दरभंगा जिला अंतर्गत अवस्थित गंगया ग्राम का नामकरण भी   गंगदेव के नाम पर ही बताया जाता है । इस जगह इनका गढ़ीकोट आदि था ।


   इस प्रकार महाराजा गंगदेव पिता द्वारा स्थापित कर्णाट शासन को जहाँ एक ओर स्थिरता प्रदान किये , वहीं आम जन के हितार्थ कई लोकोपकारी कार्य किये जिससे वे अपनी प्रजा के बीच अत्यधिक लोकप्रिय हो गए थे ..........।



                                       ✍️---- डॉ. लक्ष्मी कुमार कर्ण





  


     




   


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