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मिथिला का तीरभुक्ति नाम (TIRBHUKTI NAME OF MITHILA)

        ...........पिछले अंक 'नाम मिथिला'  में हमने मिथिलाभूमि के 'विदेह' और 'मिथिला' नाम की अंतर्कथा को विस्तार से   जाना ।             ................आइए इस अंक में हम इसके 'तीरभुक्ति' (तिरहुत) नाम के इतिहास में झांकने का प्रयास करते  हैं ..........        मिथिलाभूमि का 'तीरभुक्ति' नाम 'विदेह' और 'मिथिला' दोनों से अधिक नवीन है । वाल्मीकीय रामायण आदि अति प्राचीन ग्रंथों  में तीरभुक्ति नाम का उल्लेख कहीं नहीं मिलता है ।      'तीरभुक्ति' दो शब्दों से मिलकर बना है---- 'तीर' और 'भुक्ति' । तीर का अर्थ 'तट' और 'भुक्ति' का अर्थ साम्राज्य के एक भाग के रूप में 'प्रदेश' होता है । .......अर्थात तट पर अवस्थित प्रदेश ।      'तीरभुक्ति' शब्द भाषा विज्ञान के 'मुखसुख' सिद्धान्त से इस प्रकार रूपांतरित हुआ-----         तीरभुक्ति ------तिरहुति ------तिरहुत पुराण और तांत्रिक ग्रंथों में तीरभुक्ति नाम मिलता है । 'भविष्य पुराण' के आधार पर 'मिथिला' और   ' तीरभुक्ति&#

नाम मिथिला (Name Mithila)

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. ..........पिछले अंक में हमने मिथिला के एक प्राचीन प्रसिद्ध नाम 'विदेह' के संबंध में जानकारी प्राप्त की । ..........आईये अब हम जानते हैं मिथिला के 'मिथिला' नामकरण की अंतर्कथा--------           विदेह माथव द्वारा मिथिला के प्राचीन भू-भाग पर आर्यों के बसाये जाने के बाद यहाँ इस राजवंश के अनेक राजाओं ने राज्य करते हुए अपने साम्राज्य का विस्तार किया । सूर्यवंशी निमि प्राचीन मिथिला के प्रतापी राजा थे । इनकी वंश -शृंखला इस प्रकार थी---- ----- सूर्य के पुत्र वैवस्वत मनु, उनके पुत्र इक्ष्वाकु, इक्ष्वाकु के पुत्र निमि  ।       'शत्पथ ब्राह्मण' ग्रंथ के अनुसार, राजा इक्ष्वाकु को पुरंजय और निमि नाम के दो पुत्र थे । पुरंजय अयोध्या और निमि मिथिला(विदेह)  राज्य को ग्रहण किये । इसी निमि के अति प्रतापी और लोकप्रिय पुत्र मिथि के नाम पर इस भू-भाग का नाम ' मिथिला ' पड़ा ।              ' विष्णुपुराण ' एवं ' श्रीमद्भागवत ' में इस प्रसंग विस्तार से वर्णन मिलता है । इसमें कथा प्रसंग इस प्रकार है.............       एक बार इक्ष्वाकु पुत्र निमि को यज्ञ करने की अति

मिथिला तेरे कितने नाम (Various Names of MITHILA)

..... आईये ! इस अंक में मिथिला के विभिन्न नामों को जानें..............!  मिथिला भू-भाग को कई नामों से जाना जाता रहा है । ' महाविष्णुपुराण ' में मिथिला के 12 (बारह) नामों का उल्लेख मिलता है ----        मिथिला तैरभुक्तिश्च वैदेही नैमिकाननम् ।       ज्ञानशीलं कृपापीठं स्वर्णलांगलपद्धति: ॥       जानकीजन्मभूमिश्च निरपेक्षा विकल्पषा ।       रामानंदकरी विश्वभावनी नित्य मंगला ॥           उपर्युक्त पद में अंकित अधिकांश नाम मिथिला  के स्थानीय विशिष्टता पर आधारित है, और ये इसके आलंकारिक नाम हैं । इनमें से तीन नाम विशेष रूप से अधिक प्रसिद्ध रहे हैं------   1. विदेह      2. मिथिला      3. तीरभुक्ति(तिरहुत)    ............आईये, इन तीनों नामों की अंतर्कथा को जानें....... 1. विदेह ---.                  मिथिला के सर्वप्राचीन व संस्थापक शासक 'विदेध' अथवा 'विदेह' के नाम पर इसका नाम 'विदेह' पड़ा - --- विदेहानां जनपदो विदेह: ।    उस समय राजा के गोत्र-नाम पर जनपदों के नाम रखने की परंपरा थी । 'विदेह जनपद'  स्थापना के संदर्भ में जो इतिहास विश्रुत कथा है, वह इस प्रकार है

परिचय मिथिला (An introduction of MITHILA)

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      मिथिला......! ....एक सांस्कृतिक संबोधन...। 'मिथिला' नाम मानस-पटल पर आने के साथ हीं मन-मस्तिष्क के कोने में कई पौराणिक, ऐतिहासिक, दृश्य कौंधने लगते हैं ---- खेतों में स्वयं हल चलाते विदेहराज जनक, भगवान श्रीराम की शक्ति जनकनंदिनी जगतमाता सीता का अवतरण, याज्ञवल्क्य-अष्टावक्र जैसे महा मनीषियों के दैदीप्य भाल, गार्गी-मैत्रेयी जैसी परम विदूषी सरस्वतीस्वरूपा ललनाओं के  सौम्य, स्निग्ध मुखमण्डल.....। ....और न जाने क्या-क्या मन के तारों को झंकृत करने लगते हैं ।  .....कीर(सुग्गा)-दम्पति का तत्त्व-वाचन,  जगद्गुरु शंकराचार्य से भारती-मंडन का ऐतिहासिक शास्त्रार्थ...। ...कपिल (सांख्य), कणाद(वैशेषिक), गौतम (न्याय), जैमिनी (मीमांसा) की परम तेजस्वी लेखनी से निःसृत भारतवर्ष के कुल छः दर्शनों(Philosophies) में से चार दर्शनों की अविकल धारा...........।      भारतीय सांस्कृतिक जीवन-शैली को जीवंत रूप में देखना हो तो मिथिला के गांव पधारिए.......। भारतभूमि पर सबसे नवीन मिट्टी में पनपी मिथिलांचल की लोक-संस्कृति अपने सहज, सरल व निश्छल स्पर्श से आपको भावों से भर देगी ...। यहाँ की परोपकारी व स्वभावतः स