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परिचय मिथिला (An introduction of MITHILA)

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      मिथिला......! ....एक सांस्कृतिक संबोधन...। 'मिथिला' नाम मानस-पटल पर आने के साथ हीं मन-मस्तिष्क के कोने में कई पौराणिक, ऐतिहासिक, दृश्य कौंधने लगते हैं ---- खेतों में स्वयं हल चलाते विदेहराज जनक, भगवान श्रीराम की शक्ति जनकनंदिनी जगतमाता सीता का अवतरण, याज्ञवल्क्य-अष्टावक्र जैसे महा मनीषियों के दैदीप्य भाल, गार्गी-मैत्रेयी जैसी परम विदूषी सरस्वतीस्वरूपा ललनाओं के  सौम्य, स्निग्ध मुखमण्डल.....। ....और न जाने क्या-क्या मन के तारों को झंकृत करने लगते हैं ।  .....कीर(सुग्गा)-दम्पति का तत्त्व-वाचन,  जगद्गुरु शंकराचार्य से भारती-मंडन का ऐतिहासिक शास्त्रार्थ...। ...कपिल (सांख्य), कणाद(वैशेषिक), गौतम (न्याय), जैमिनी (मीमांसा) की परम तेजस्वी लेखनी से निःसृत भारतवर्ष के कुल छः दर्शनों(Philosophies) में से चार दर्शनों की अविकल धारा...........।      भारतीय सांस्कृतिक जीवन-शैली को जीवंत रूप में देखना हो तो मिथिला के गांव पधारिए.......। भारतभूमि पर सबसे नवीन मिट्टी में पनपी मिथिलांचल की लोक-संस्कृति अपने सहज, सरल व निश्छल स्पर्श से आपको भावों से भर देगी ...। यहाँ की परोपकारी व स्वभावतः स